Thursday, October 9, 2014

नकाब / मेकअप ....पार्ट -वन...


नकाब / मेकअप ....पार्ट -वन
घर परिवार से लेकर बाहर तक की महिलाओं को बगैर मेकअप कहीं जाते नहीं देखा है - कुछ न कुछ ..थोड़ा ही ..अगर पार्टी / फंक्शन बड़ी हुई तो मेकअप भी उतना ही ज्यादा ! शायद ...यह मेकअप पिछली पीढी को देख भी आता होगा और कुछ महिलाओं के स्वभाव से भी जुड़ा है - वो सुन्दर दिखना चाहती हैं ! मेरी बेटी भी अब थोडा बहुत मेकअप लगाना चाहती है ! अब सुन्दर लगने के बाद की कड़ी होती है - सुन्दर दिखने के बाद दूसरों को अपनी तरफ आकर्षित करने का मन - और फिर यह एक फोर्मुला बन जाता है ! 
ठीक उसी तरह पुरुष भी अपने स्वभाव का नकाब पहनते हैं - पहली बार तो अकबका लगता है - फिर जब पता चलता है - अरे ..यह नकाब तो एक फोर्मुला है ...फिर वो उस नकाब से बाहर नहीं निकलता है ...क्योंकी दूसरों को नकाब पसंद होता है और कोई भी चाहेगा लोग उसे पसंद करे फिर नकाब के साथ न जाने वो क्या क्या करता फिरता है ! 
दिक्कत उसके साथ नहीं होता जो नकाब पहनता है - दिक्कत उनके साथ है जो बगैर नकाब किसी और को नहीं देख सकते - यह क्या है ?? एक बात पूछता हूँ ...क्या अमिताभ बच्चन अपने घर में भी ठीक उसी तरह रहते होंगे - जैसे वो परदे पर दिखते होंगे ? " हाएं ..कमर पर हाथ डाल ...ऐश्वर्या ..एक गिलास पानी लाओ ! "नहीं ...हरगीज नहीं ...अमिताभ बच्चन भी घर में वैसे ही रहते होंगे ..जैसे हमारे पिता जी रहते होंगे ! 
मेरे पिता जी प्रोफ़ेसर है - जाड़े के दिन में क्लास लेने जाते हैं तो एकदम बढ़िया टाई / सूट / जूता - पर वही इंसान घर में सफ़ेद लूंगी या पैजामा में रहते हैं ! कोई विद्यार्थी घर में आ गया तो हडबडा गया -..अरे सर तो ..ऐसे नहीं दिखते है ...जिस विद्यार्थी को क्लासरूम में डांटते है ..वही अगर घर आ गया तो उसके लिए मिठाई ! 
खैर ...नकाब जरुरी है ...समाज के लिए ....नकाब जरुरी है घर से बाहर के लिए ...पर घर में ...अपनो में ..नकाब की कोई जरुरत नहीं ! 
"दर्द तब होता है जब कोई अपनों के साथ भी नकाब में होता है ....दर्द तब होता है ..जब अपने भी आपको नकाब में देखना चाहते हैं ..." होता है ..न ?? ...:)) 
क्रमशः ....

@RR - 9 October 2014 

No comments: