पिछले साल नौकरी छोड़ने के ठीक बाद - दालान पर दो ख़त अलग अलग दिल्ली और आस पास से छपने वाले प्रमुख समाचार पत्र से आये - हमारे अखबार के लिए लिखिए - मालूम नहीं क्या सोच - मै चुप रह गया ! बात आयी गयी हो गयी - पटना से भी हिंदी के कई समाचार पत्र छपते है - लोगों ने कहा - संपादक से बात करो - कहीं कोई मिल जाए - छपने का - फिर मै चुप रह गया - वैसे ही एक अजीबोगरीब 'बैगेज' लेकर चलता हूँ - अब इस उम्र में कौन किसी समाचारपत्र के दफ्तर का चक्कर लगाए
नीरज दा दिल्ली में रहते हैं - मुजफ्फरपुर के रहने वाले और शायद मेरी लेखनी को पसंद भी करते हैं - पेशे से प्रिंट मिडिया में हैं - जब तब जहाँ तहां मेरी बातों को चुपके से छाप देते हैं ...:)) कुछ दिन पहले उनका मैसेज आया - आपको रेगुलर कॉलम में छापना चाहते हैं - हमने बोला - फेसबुक / ब्लागस्पाट से जो कुछ मिले - छाप दीजिये - पर मुझे ही क्यों ? एक से एक बड़े भाषाविद और पत्रकार हैं - हंसने लगे - बोले सभी "रंजन ऋतुराज" थोड़े न हैं ..:)) बात आई गयी हो गयी ...पटना बाज़ार घूम के आया तो देखा - उनका समाचार पत्र जो पाक्षिक है - उसकी एक कॉपी मुझे कुरियर की गयी है - "बुलंद प्रजातंत्र " - सेंटर पेज में मेरे लिखे हुए को बगैर सम्पादन ..डॉट्स के साथ ..छाप दिए हैं ! उनको फ़ोन लगाया - हमने बोला - कुछ तो सम्पादन कर दिए होते - बोले - आपका लिखा इतना ओरिजिनल होता है - शुद्ध होता है - छेड़खानी की हिम्मत नहीं ! प्रसंशा जब मिल रही हो - झुक कर ग्रहण करना चाहिए ..:))
इनका अखबार "बुलंद प्रजातंत्र " किसी चर्च के द्वारा संचालित है - पुरे भारत में लगभग दस हज़ार प्रिंट होता है !
अखबार में नाम की लालसा नहीं है - हिंदी के सबसे प्रमुख "हिन्दुस्तान" ने तो पहले पन्ने पर दो बार नाम छापा है - एक बार किसी को "उड़ा" देने की धमकी की कहानी और दूसरी बार "दालान" के लिए ...:))
फिर भी ....अखबार में नाम ..किसे बढ़िया नहीं लगता है ...वो भी अगर बिना किसी प्रयास के हो ...:))
ये दुनिया भी अजीब है ....जिस छवी को आप पेश करेंगे ...उसी छवी की दिवानी हो जाती है ...:))
थैंक्स ...!!!
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