Saturday, October 4, 2014

सुन्दरकाण्ड .......


आज कल भोरे भोरे पांच बजे ही नींद खुल जाता है - कम्बल के अन्दर ठेहुना मोड़ के - पलंग के सिरहाने पीठ सटा के - सुन्दरकाण्ड को युटिउब पर खोल देता हूँ  कुछ देर बाद - अनूप जलोटा का भजन - 'जल से पतला कौन है - कौन भूमि से भारी - कौन अग्न से तेज है - कौन काजल से काली - जल से पतला ज्ञान है - पाप भूमि से भारी - क्रोध अग्न से तेज है और कलंक काजल से काली' - एकदम अनूप जलोटा के साथ राग में राग मिला के - खूब तेज - शिव भक्त होने के कारण अब वैसी आवाज़ नहीं रही वर्ना कॉलेज जमाने में रॉक / पॉप - इटार गिटार / वेस्ट कोट पहिन उहींन के - कल एक कॉलेज जमाने के मित्र का फोन - उदास हो गया - क्या जलवा होता था  हम थोडा गंभीर रूप से जबाब दिए - बुरबक ..अरे वो जवानी का जलवा था ..मेरा थोड़े न था  दिन भर डिप्रेशन में थे ...शिव ने अन्याय किया ...दो वर दिए ...१) कभी कोई शत्रु मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा ..भले कोई दोस्त पीठ पर खंजर के हज़ार दाग कर दे ...२) कभी बुढापा नहीं आएगा ...पर मैंने भी दोनों 'वरदानों' की रक्षा की है - प्रथम जैसे ही किसी दोस्त ने खंजर का हल्का एहसास होता है ..तुरंत उसको दुश्मन बना लेता हूँ ..और शिव के वरदान के साथ बेफिक्र होकर सो जाता हूँ ...दूसरा कभी भी ना तो भतीजा उम्र के साथ दोस्ती और ना ही चाचा लोग के उम्र वालों के साथ - दूर से राम सलाम - अपने एजग्रुप के साथ ..मस्त ..हमेशा 'चिरयुवा' ..:)) अपना येजग्रुप के साथ फायदा यह है की ...उसको कुछ भी बोल दीजिये ..वो माईंड नहीं करता ...बुरा भी लगेगा ...मना लेंगे...वो भी कुछ कह देगा ..दांत चियार के सह लेंगे ...पीठ पर दू मुक्का देकर ...गला मिल लेंगे ..:)) 
पर अभी तत्काल में ...जो प्रॉब्लम है ..वह यह है की ...अनूप जलोटा का भजन और सुन्दरकाण्ड ..वो भी भोरे - भोरे ...खैर अन्दर एक विश्वास है ...उ का कहते हैं..फेस्बूकिया भाषा में ...ट्रस्ट है / फेथ है ...शिव इस बुढापा को नजदीक नहीं आने देंगे ...बेटा के बियाह में ...भतखही में ..मडवा पर ...गारी / गाली सुनते वक़्त ..कनखिया के ..एक भरपूर नज़र समधिन को देख न लें ...बुढापा को रोके रखना है ... 


@RR - २७ नवम्बर - २०१३ 

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