एक दीवार कमज़ोर दिखता है ! दरार आ गयी है ! हर सुबह उस दरार पर् नज़र पड़ जाती है ! फिर दिन भर काम धंधे में इतना व्यस्त हो जाता हूँ - उस दरार को भूल जाता हूँ ! फिर शाम वही दरार फिर से नज़र आ जाती है ! उस दरार और दीवार को देखते देखते रात गुजर जाती है !
इस् दीवार पर् एक इमारत खड़ी है और इमारत के छत के नीचे मेरी जिंदगी बसर करती है !
@RR - 20 March 2012
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