गर्मी चरम सीमा पर् है ! टेबुल फैन की याद आ गयी ! दोपहर में भोजन के बाद चौकी पर् सफ़ेद तोशक और चादर बिछा कर - मसनद और बगल में एक छोटे टेबुल पर् 'टेबुल फैन' ! सब रईसी और एसी फेल है ! बगल में खिडकी पर् एक रेडियो और रेडियो पर् धीमा संगीत बीच बीच में समाचार भी - सो जाईये ! जैसे पावर ( लाईन ) गया - मुह फेर के टेबुल फैन को देखिये ! भर पेट भात खाने के बाद जो नशीला नींद आता है - उस दोपहर के नींद का क्या कहना !
बचपन से टेबुल फैन को लेकर एक उत्सुकता रहती थी ! चार या पांच बटन - जब मूड हुआ कोई बटन टीप दिए - उधर से चाचा आँख दिया दिए ! जब तक टेबुल फैन के पंखे पूरी स्पीड में नहीं आ जाएँ ..तब तक उनको देखते रहना - मन करे की ..जाली से उंगली घुसा दें :)) घर में कोई बुरबक/बेवकूफ बच्चा हो तो उसको बोला जा सकता था पर् इस् घटना के बाद जो पिटाई होने वाली होगी उसकी कल्पना से डर ऐसा कुछ नहीं करना ! फिर जब सब लोग सो गए तब टेबुल फैन के सामने मुह ले जाकर आवाज़ निकालना ...आ आ आ आ ....! अगर कमरे में दो चार लोग और सोये हुए हैं फिर टेबुल फैन का कान उमेठ देना ...अब वो सर घुमा कर सभी को हवा दे रहा है ...तब तक बदमाशी से उसके सर को पकड़ लेना ...पीछे के गरम मोटर से हाथ का जलना ..फिर कर्र कर्र की आवाज़ होते ही रूम से भाग जाना !
आजकल लोग स्प्लिट एसी लगाता है - शोर नहीं हो ! उस टेबुल फैन का जाली ढीला होने के कारण ...एक आवाज़ आती ..उस आवाज़ में भी ...घर में आये पाहून / मेहमान क्या खर्राटा भर के सोते ....अदभुत ... !
~ दालान , २२ मई - २०१२
1 comment:
शुद्ध देसी चित्रण
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