Thursday, October 30, 2014

धन के रूप ...:))


हास्य/ व्यंग्य : 
मैंने बहुत पहले लिखा था - धन भी कभी काला - गोरा हुआ है ..भला ? धन ..धन होता है ! पर रंग भेदिओं ने "माँ लक्ष्मी" को भी काली के रंग में रंग दिया है  
आपकी क्षमता कम है - आप ग्रामीण बैंक में पैसा जमा करते है - किसी की क्षमता ज्यादा है - वो पंजाब नेशनल बैंक में पैसा जमा करता है - कोई सोफिसटिकेटेड है वो एचएसबीसी में जमा करता है - अब इसमे हंगामा का क्या बात है ? सबको पेर के रख दिए हैं  
किसी का धनिक होना भी बर्दास्त करना सीखिए ! मारिये ...वो सब ...एक बात सच सच बोलिए ...आप जिस कंपनी में काम करते हैं - क्या उसमे लक्ष्मी का काली रूप नहीं लगा हुआ है ? या आप अफसर है तो आपके दफ्तर में लक्ष्मी पुत्र आता है तब आप उठ के उसका अभिवादन नहीं करते हैं ? या आप नेता हैं तो धनिक लोग आपके पास बैठें इसकी तमन्ना आपमे नहीं रहती है ? 
सब के जड़ में है - चाईल्ड साइकोलॉजी - पढोगे लिखोगे - बनोगे नबाब - बस दे रट मारे विद्या को - बड़ा हुए तो ना खराब बन पाए ना ही नबाब - बीचबिचवा बन के रह गए - अब फ्रस्टेशन उसपर निकाल रहे हैं जो बड़ा बड़ा रिस्क लेकर लक्ष्मी के सब रूप का आनंद उठा रहा है - अब टेंशन में सरकार के पीछे पड़ गए  रोज भोरे भोरे अपना पासबुक देखना भी आनंद है - अब अपना पासबुक तो है नहीं तो दुसरे के पासबुक में कितना माल है - उसके चक्कर में गला फाड़ फाड़ के हंगामा किये हुए हैं ! मनुष्य स्वभाव से ही जलनशील होता है ! 
बचपन में जो सगे संबंधी बढ़िया कपड़ा लत्ता / गाडी घोडा से आये - उनको चार बार झुक के प्रणाम - घर में भी वही सिखाया गया - पढोगे तो वैसा बन जाओगे - तब क्यों नहीं सिखाया गया - पढने का मतलब विद्या - परीक्षा नहीं - धन नहीं ! अब बाज़ार में आये तो देखे - सब विद्या एक तरफ और बाज़ार का रौनक एक तरफ और ये रौनक बिना धन के आ ही नहीं सकता ! 
एक और बात बताईये - बिना टैक्स चोरी किये हुए कोई बिजनेस हो सकता है - सच सच दिल पर हाथ रख के बोलिए - गला फाड़ कम्पटीशन में प्रॉफिट कैसे बनेगा ? अगर आप कोरपोरेट में बडका मैनेजर हैं - फिर बिना टैक्स वाला 'पर्क्स' की तमन्ना क्यों करते हैं - बेसिक सैलरी दस हज़ार और टोटल सैलरी दो लाख - अजीब हाल है - बिना टैक्स वाला सैलरी लेते वक़्त - देश / समाज नहीं याद आता है ? 
पुरे विश्व में आर्थीक मंदी आया - लक्ष्मी अपने काले रूप में भारत को बचा ली - ये मै नहीं कह रहा - बड़े बड़े इकोनोमिस्ट लोग कहते हैं ...
लक्ष्मी के दोनों रूप का आनंद लीजिये - थोडा काला थोडा गोरा ...:)) रंगभेदी मत बनिए - यह जुल्म है ...:))

@RR

2 comments:

Arun sathi said...

बहुत कारारा
और नेताजी को काहे छोड़ दिए...काला धन लाने वाले...चुनाव में खरबों..काला धन ही खर्च किया...

anusia said...

ye to dunia aur logo ki reet hai ke apne alawa sabka dikhta hai. Dhanjiskepas jitna jyada hota hai uskabolbachan bhisabse jyada hota hai.