Sunday, September 28, 2014

नया साल - 2014


नया साल आ गया है ! साइकोलोजिकल चेंज हो जाता है - जैसे सब कुछ फ्रेश फ्रेश ..बहुत कुछ बदल जाएगा ! इंसान कितना आशावान होता है ! कोशिश करना कोई गुनाह नहीं है - फिर भी न जाने ऐसे कितने साल आये गए :)) 
दो तरह का व्यक्तित्व होता है ! आंतरिक और बाहरी ! आंतरिक वो जिसके साथ इंसान जन्म लेता है - वो उसी व्यक्तित्व के साथ जनम लेता है और उसी के साथ मरता है - वो जो अन्दर है वो कभी नहीं बदलता - अगर वो गलत है फिर इंसान का दिमाग उसपर हावी होकर उसके आतंरिक व्यक्तित्व को सही बताता है - फिर इंसान निश्चिंत हो जाता है - इस आंतरिक व्यक्तित्व का किसी से कुछ लेना देना नहीं है - एक ही कोख से जन्मे दो अलग अलग व्यक्ति एक ही चीज़ को अलग अलग ढंग से सोचते हैं - यह सब वह शक्तीशाली दिमाग है जो आपके गलत को भी सही बता कर आपको किसी भी 'गिल्ट' से आज़ाद कर देता है - जैसे यह मेरी ज़िंदगी ..किसी 'और' को क्या फर्क ...:)) कितना आसान है ..यह सब एक दिमाग के लिए ..
अब एक होता है - बाहरी व्यक्तित्व - पोलिश / देहाती / शहरी / पढ़ा लिखा / अनपढ़ / हिंदी मीडियम - अंग्रेज़ी मीडियम / पटना - कैलिफोर्निया और मालूम नहीं क्या क्या ...इसको बदलना बहुत आसान है ...थोड़ी सोच बदल लीजिये ..थोड़ा विल पवार मजबूत कर लीजिये ...थोड़े बढ़िया आदत डाल लीजिये ...थोडा संयम रख लीजिये ...बस चंद सप्ताह में आप बदल जायेंगे ..पर इसके लिए आपको अपने आप को - अपने इर्द गिर्द से थोडा दूरी रखना पड़ेगा ! फिर भी ..अब मै कैसे कह दूँ ...पटना के आबोहवा का असर मुझ पर नहीं पड़ेगा ...अगर मै शिक्षक था तो उस नौकरी का असर मुझ पर नही होगा ..अब सोचिये ..180 डिग्री पर ..एक काफी प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज से ..राजनीति ...यह शिफ्ट कितना मुश्किल है ..अब राजनीति में रहकर ..कॉरपोरेट लुक कैसे आएगा ? नहीं आएगा ...:(( वो सबसे नोबल प्रोफेशन 'टीचिंग' की खुशबू एक दिन ख़त्म होगी ! 
पर ...वो जो एक इंसान है ...जिसका एक आतंरिक व्यक्तित्व है ..वो क्यों नहीं बदलता ...वो बदलेगा भी नहीं ...जिस दिन वो बदल गया ...वो इंसान ही ख़त्म हो गया ...वो कहते हैं ..न ..वो कहने को समुन्द्र था ...उसमे ही डूब एक प्यासा मर गया ...
@RR - 1 January - 2014 

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