एक सुबह आये ...बगैर फिक्र वाली ...खिड़की से झाँका तो ...बरसती बूंदों वाली....पुरे दिन को अपने ही स्वाद में घोलती...एक सुबह आये ...बगैर फिक्र वाली ..कोई शाम न आये ...आये तो सीधे रात आये ...उसी सुबह के आस में आये ....बगैर फिक्र वाली ...:))
@RR - १७ जुलाई - २०१४
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