हमारे कई स्वभाव / आचरण के तह में भय बैठा हुआ रहता है ! यह 'भय' हमारे कई सकरात्मक और नकरात्मक कदमो को तय करता है - अब वो कदम सकरात्मक होने या नकरात्मक होंगे यह हमारा अपना व्यक्तित्व / मूल स्वभाव तय करेगा ! व्यक्तित्व निर्माण में कई चीज़ों / स्थान / लोगों / 'घटनाओं' का सहयोग होता है पर 'मूल स्वभाव' कभी नहीं बदलता !
अब बात आती है ...इंसान.... इंसान या घटनाओं को या समाज को या इर्द गिर्द के लोगों को नियंत्रीत क्यों करना चाहता है ? यह प्रक्रिया घर से शुरू होकर विश्व तक पहुँचती है - क्या घर का मुखिया और क्या विश्व का मुखिया - जैसे सब कुछ उसके उंगलीओं पर ही नाचे ! एक हद तक यह आनंद देता है - जब जब यह लगता है - कोई मुझे फौलो / मेरे बातों को समझ / मेरे साथ साथ चल रहा है - कड़वा तब हो जाता है - जब हम जबरदस्ती कंट्रोल शुरू कर देते हैं - इंसान की समझ कम - जानवर की तरह - चरवाहे की लाठी से 'हांक' दिया जाता है - पर जब उसकी समझ जागेगी - तब क्या होगा ? उसका फल कौन भूगतेगा ??
यह कहानी सिर्फ इंसान - इंसान' तक ही सिमित नहीं है - इसका दायरा थोडा बड़ा कर के सोचियेगा - इसमे आपको मार्टिन लूथर किंग से लेकर महात्मा गांधी ..फिर लालू जैसे लोग भी नज़र आयेंगे ..!
खैर ...बात 'भय' और 'मूल स्वभाव' की है ..! चोर का भय ..कोई डर से दरवाजे / पलंग के पीछे / निचे भाग जाता है ...कोई हाथ में डंडा लेकर आगे बढ़ जाता है ..यह आचरण उसके मूल स्वभाव से आता है या आता होगा ! यही भय कई चीज़ों को नियंत्रण करने पर मजबूर करता है ...इंसान के अन्दर एक भय रहता है ...गलती से / समाज से ..उसे एक शक्ती मिल जाती है ...अब वह इस शक्ती को लेकर सब कुछ नियंत्रण में रखना चाहता है ...पर अन्तोगत्वा दुःख उसको नहीं होता ..जिसे आप नियंत्रण में रखते हैं ...अपने डंडे के जोर पर ...चाबुक चलाते है ...असल दुःख तब होता है ...उस अहंकार को ठेस पहुँचती है ...वो विकृत कुंठा चूर चूर होती है ...जब वो इंसान / चीज़ आपके नियंत्रण से बाहर निकल जाती है ...
दरअसल जब आप गौर फरमाएंगे ...इन सबके के पीछे ...एक कुंठा रहती है ...वो इतनी भयानक होती है ...अगर आप कोमल ह्रदय वाले हैं ....उस कुंठा को नजदीक से देख समझ ...एकदम से ठिठुर जाए ...आप कुछ नहीं कर सकते ...वो कुंठा उसके साथ ही रहेगी ...मरने के साथ जायेगी ...उसने उसको बड़े जतन से पाला है ..जिसने अपनी कुंठा ही बड़े जतन से पाला हो ...वो भला क्यों उसे मरने देगा ...:))
@RR - १९ दिसंबर २०१३
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