भावनाओं की सुन्दरता तभी है - जब वो तरल हो ( लिक्विड) - तेज़ प्रवाह वाली भावनाएं - गैस या कठोर भावनाओं में आप नहा नहीं सकते - बेकार - या तो मजा नहीं आएगा या फिर आप चोटिल हो जायेंगे ! जो भावनाएं जितनी पवित्र - उसमे उतना ही प्रवाह - उसमे उतनी ही गती - वेग के साथ बहती भावनाएं - अपने साथ सबकुछ बहा ले जाने की क्षमता वाली भावनाएं - गंगोत्री की धार लिए !
इस तेज़ धार को अपने साथ लिए वो किनारे - कभी उस तेज़ प्रवाह में विलीन होते तो कभी उस वेग को नयी दिशा देते - वो किनारे - गंगोत्री से लेकर समुद्र तक उसका साथ निभाते - अगर मजबूत किनारे न हों ...उन भावनाओं को ना दिशा मिलेगी और ना ही गति ...और वही किनारे और गति ...उनको निरंतर बहने की शक्ती देते हैं ....'बाँध' अक्सर टूट जाते हैं ...किनारे हमेशा साथ रहते हैं ...:))
@RR - २० जून - २०१४
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