Monday, September 29, 2014

बिहार बनाओ ....


बिहार से बाहर जाना कोई नया बात नहीं है - कई दसक पहले गिरमिटिया मजदूर बन के भी लोग दुसरे देशों में बस गए - फिर वापस नहीं आये - उसमे से कुछ बिहार से रोटी / बेटी का सम्बन्ध बना कर रखे लेकिन अब वहां की नयी पीढी भी विद्रोह कर रही है ! बात अपवाद की नहीं होती है - बात आम की होती है ! लोग पहले भी कलकत्ता / दिल्ली जाते रहे हैं - कमाने के लिए - लेकिन अपनी जड़ें बिहार में मजबूत रखते थे - अब वो जड़ें कहीं न कहीं हिल रही हैं - वजहें साफ़ है -खुद की ज़िंदगी की जरूरतें इतनी बड़ी हो चुकी हैं की इंसान वहीँ खुद को दबा कुचला महसूस कर रहा है ! एक छोटा सा उदहारण देता हूँ - बस दस / पंद्रह साल के अन्दर - लोग होली / छठ पूजा में बिहार जाना बंद कर दिए - अगर आप किसी महानगर में रह रहे हों - तस्वीर साफ़ साफ़ नज़र आयेगी - हर शहर में बिहारी छठ पूजा करते नज़र आयेंगे - छठ पूजा में गाँव / अपने शहर जाना सिर्फ संस्कृति या सभ्यता नहीं थी - फिर से कई संबंधों को उजागर करने की एक कोशिश होती थी ! सभ्यता और संस्कृति तो हज़ारों साल बाद भी जिंदा रहती है लेकिन अपनी मिटटी से कब सम्बन्ध ख़त्म हो जाता है - पता ही नहीं चलता ! 
1990 के बाद आर्थीक उदारीकरण और आईटी ने हर मिडिल क्लास घर के काबिल को विदेश घुमा दिया - वर्ना पहले सिर्फ डॉक्टर ही विदेश जाते थे या तो डिग्री के लिए या फिर पैसा कमाने के लिए - बाहर बसना कोई नहीं चाहता था ! 
अब क्यों लोग बसने लगे हैं - वजहें साफ़ है - आर्थीक उदारीकरण के बाद देश का हर एक राज्य की राजधानी की प्रगती हुई पर पटना जैसे शहर वहीँ के वहीँ खड़े रह गए या पीछे हट गए - दो चार ओवरब्रिज बन जाने से आप देश के दुसरे शहर के बराबर नहीं खड़े हो सकते ! रोजगार पैदा करना होगा - जातिवाद लगभग समाप्त हो चुका है - जिनकी आँख ही मंडल के बाद खुली - उनको कबतक मंडल की घुट्टी पिलायेंगे - भाजपा जैसे बड़े राजनितिक दलों को 'कमंडल' उतार अपनी राजनीति फिर से शुरू करनी पडी ! 
एक उदहारण देता हूँ - मेरे इस दालान पेज पर 70 % वैसे लोग हैं जिनकी आयु " 18 से 34 के बीच है - इनकी अपेक्षाएं अलग हैं - कई तो स्मार्ट फोन के युग में पैदा लिए हैं - वो अपनी दुनिया अपने ढंग से देखना चाह रहे हैं - जो मेरी उम्र के हैं वो खुद के बच्चों को देख सकते हैं ....
अब बात आती है ...एक प्रवासी बिहारी / अप्रवासी बिहारी कैसे बिहार को मजबूत कर सकता है ....बहस यहाँ होनी चाहिए ....:)) 

@RR - १५ जुलाई - २०१४ 

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