नर्म रुई के फाहों से.....
रूह में भींगे ....
इस श्रद्धा सुमन को ...
अपने एहसासों को समर्पित करता हूँ ....
वो एहसास जहाँ एक हसीन ...
अपने ख़ूबसूरत आत्मा के साथ ..
देवी रूप में...
बैठी है ...
सिर्फ मेरे लिए ...
उसके द्वार खुले हैं ...
दीप जले हैं ...
जलाये रखेंगे ...
अखंड ज्योति को ...
~ ranju
~ १८ अक्टूबर - २०१२
रूह में भींगे ....
इस श्रद्धा सुमन को ...
अपने एहसासों को समर्पित करता हूँ ....
वो एहसास जहाँ एक हसीन ...
अपने ख़ूबसूरत आत्मा के साथ ..
देवी रूप में...
बैठी है ...
सिर्फ मेरे लिए ...
उसके द्वार खुले हैं ...
दीप जले हैं ...
जलाये रखेंगे ...
अखंड ज्योति को ...
~ ranju
~ १८ अक्टूबर - २०१२
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