गया मेरा जन्मस्थान है पर सरकारी कागजों पर कहीं गोपालगंज तो कहीं मुजफ्फरपुर तो कहीं पटना लिखा है - पर मेरा जन्म तो गया में हुआ था ...हां...माँ ने यहीं मुझे जन्मा था ...गया....!
गया मेरे अन्दर कहीं छुप के बसा होता है ...कभी निकलता नहीं ...गोपालगंज / मुजफ्फरपुर / पटना के ताम झाम में 'गया' मालूम नहीं कहाँ छिप जाता है - पर मुझे पता है - वो कहाँ छिपा होता है...मै कभी कहता भी नहीं ...बाहर निकलो....अब माँ नहीं हैं तो ...अन्दर से झाँक रहा है ....गया ...
जन्म के बीस इक्कीस साल बाद - मन हुआ - गया जी का दर्शन कर आऊँ - ट्रेन पकड़ लिया - एकदम अकेले - एक दोस्त के घर रुका - गया जी को महसूस किया - फिर बोधगया घुमा ...चुप चाप ..हाथ को पीछे मोड़ ...एक हक से ...फिर वापस लौट गया ...फिर एक दो साल बाद ही ...एक दोस्त की शादी में आया ...पर बस शादी में ही व्यस्त ...तब भी दोस्त के घर के खिड़की से ...गया को देखा था ...!
आज फिर ...बाईस साल बाद ...गया जी और बोध गया का दर्शन हुआ ...महसूस किया ...ये वही जगह है ...जहाँ माँ ने मुझे जन्मा था ...इस धरती को दिखाया था ...बड़े नाना जी की पोस्टिंग यहीं थी ...मामू लोग की ढेर सारी मेरे जन्म की कहानी ...ननिहाल में सबसे बड़ा था ...तो कहानी भी मेरी ही होगी ...न ...वो सारी बातें ....ऊन के गोले की तरह ...सुबह से खुलते जा रहे हैं....मालूम नहीं ..कहाँ कहाँ उलझते जा रहे हैं ....
गया जी ....गया को आदरभाव से 'गया जी' ही कहते हैं ...:))
No comments:
Post a Comment