एक ही घटना को ..या एक ही व्यक्ती को ......हर इंसान अलग अलग तरीके से देखता है ..जिसकी जैसी श्रद्धा ...कल नॉएडा के आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन श्री अनिल शर्मा की सुपुत्री का विवाह था ..."बेटी ..बाप की ही नहीं ...समाज की भी होती है" - यही कुछ धारणा मन में थी ...फ़ोन और वृहत कार्ड के आमंत्रण के बाद ..आना तो था ही ...:))
अनिल शर्मा जी को कई वर्षों से जानता हूँ ...तब जब वो पटना में थे ...जीवन में उनसे मृदुभाषी इंसान मिलना मुश्किल है ...
कल के शादी की भव्यता देख ...वहां जितने भी बिहारी मौजूद थी ...वो कुछ न कुछ ...उसमे 'अपना' सा देख रहे थे ...क्या कोई बिहारी कुछ ही वर्षों में इतना बड़ा हो सकता है ...क्या कोई करोड़ों रुपैये एक रात में इस कदर फूंक सकता है ...हम जिस समाज से आते हैं ...वहां बेटी की विवाह में अपना दम लगा देते हैं ...अनिल शर्मा कोई मंगल गृह से नहीं आते हैं ...इस मंदी के दौर में भी इस शहर में पुत्री विवाह से ज्यादा 'धमाका' कर दिए ...:)) वहीँ पटना जिले के एक बड़े गाँव 'पंडारक' में एक किसान परिवार में जन्मे इंसान ...जिनके ओफ्फिस के आगे "समाज के तथाकथित बड़े लोग" ...सिर्फ मिलने के लिए ...घंटो बैठे होते हैं ...तब आपको एक फक्र महसूस होता है ...उस तरह के इंसान के कद में थोड़ी ऊँचाई आप अपना भी देखते हैं ...
अनिल शर्मा देखने बोलने में बेहद आकर्षक है ...पर सबसे बड़ी खासियत है - "करेजा और धीरज" - दोनों गुण साथ साथ होना ...उनके सफल होने की कई कहानी है ...कुछ बिजनेस की मजबूरी भी है ...पर जब उनकी नॉएडा में सैकड़ों एकड़ ज़मीन फंस गयी ...वो अपना धीरज नहीं खोये ...बहुत ही ग्लैमरस लाईफ स्टाईल जीते हैं ...जैसे कल की कोई फिक्र ही नहीं ...जो है सो आज ही है ...ना कल कोई एक कल था ..ना कल कोई एक कल होगा ...ना कुछ लेकर आये थे ..ना कुछ लेकर जायेंगे ....ठसक ऐसा की केन्द्रीय मंत्री भी घबड़ा जाए ...:)) मात्र दस सालों में ही इस नॉएडा में ..अनिल शर्मा कई कहानी लिख चुके हैं ...जिन्हें यहाँ लिखना संभव नहीं है ...
पैसा आते जाते रहता है ...समय लौट के नहीं आता ...या फिर ये जीवन भी लौट के नहीं आता है ...
ऐसी सफल कहानी ...लिखनी चाहिए ...उसके सकरात्मक पहलू को उजागर करनी चाहिए ...हजारों लोग जानेंगे ...सैकड़ों प्रेरित होंगे ...कुछ तो जरुर सफल होंगे ...ऐसे ही ..समाज एक पिरामिड के शक्ल में खुद को मजबूत बनाए रखता है ...
मुझे बहुत खुशी हुई ...बेहद ...इस अनजान शहर में ...कोई तो है ...बिहारी का पताका लहराने वाला ...वर्ना हमें तो "लेबर क्लास" से ज्यादा इनलोगों ने कभी कुछ नहीं समझा ...
वर - वधु को ..मेरे ..मेरे परिवार और मित्रों की तरफ से बधाई ...:))
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