जब छोटा सा नन्हा सा बालक था। …… कौतुहल भरी दृष्टि से ज़माने को देखता था। ....
अब उसी ज़माने में शामिल हूँ। …।
कौतुहल तो अब नहीं रही। .... परन्तु। ....
परन्तु वो बालक। …।जो भाग कर अपनी माँ के ममता भरे आँचल में
छुप जाता था। …
क्या वो बालक भी नहीं रहा ?…?
@RR - ३१ जनवरी - २०१४
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