गुलज़ार साहब को भारत सरकार की तरफ से 'दादा साहेब फाल्के अवार्ड' - २०१३ मिला ....:)) मेरे और मेरे मित्रों की तरफ से 'गुलज़ार साहब' को बधाई ...!
....प्रकृती - भावनाएं - इंसान - रिश्ते ....इन्ही के इर्द गिर्द तो वो अपने शब्दों का जाल फेंकते हैं ...जिसमे हमारा मन फंस कर रह जाता है ...और हम उन शब्दों में क़ैद हो कर रह जाते हैं ...कभी लगा ही नहीं ...वो इतने बुजुर्ग होंगे ....लगा ..जैसे कोई मेरी उम्र का बेहद परिपक्व इंसान मेरी बातें - मेरी भावनाएं - अपने कलम से लिख रहा है ...कोई है जो मेरे मन को बयां कर रहा है ...फिर वो सारे शब्द अपने लगने लगते हैं ....
दो साल से दालान पर कुछ न कुछ लिखता हूँ - मन के बवालों को - जब ऐसे बवाल खड़े होते हैं - यही लगता है - काश ..इन शब्दों पर थोडा गुलज़ार साहब का रंग चढ़ जाए ...युटिउब पर जब उनको सुना ...लगा थोडा मै भी अपने शब्द ..उन्ही के जैसे कड़क आवाज़ में बोल दूँ ....थोडा बवाल मै भी मचा दूँ - एक तो पब्लिक भी किया - बाकी बेहद प्राईवेट हैं ...:))
बड़ी चाहत थी - उनके चरण छू - बस एक आशीर्वाद की - जो खुद उनके रंग में रंगा हो - उसे कुछ और क्या चाहत रहेगी - इसी साल पटना के लिटरेचर फेस्टिवल में - इतने करीब से उनको देखा - महसूस किया - पर उनको सुना नहीं - डर गया - आँखों के सामने उनको सुन - खुद को ऐसी ज़ंजीर में बाँध लेना था - जिससे मै कभी बाहर नहीं निकल पाता - .....भाई ...दीवानगी है ....शब्दों की ...:))
मेरी खुद की ही जो सबसे बेहतरीन तस्वीर फेसबुक पर है - उसके बैकग्राऊंड में खुद साक्षात गुलज़ार साहब खड़े हैं ...और मै अपने फोन से अपने दोस्त को मैसेज भेजता हुआ ...देखो ...आज मै गुलज़ार साहब के साथ ...:)) गुलज़ार साहब से मेरे जैसे आलसी लोग के लिए मुलाक़ात - एक कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं थी - चाहत इतनी मजबूत थी - ईश्वर ने उसे हकीकत बना दिया - उनसे मिलते तो हज़ार / लाख लोग होंगे - पर जिस चाहत से मै मिला ...इतना विश्वास है ...उनसे कोई न मिला होगा ...:))
और क्या लिखूं ...फिर से एक बार ...गुलज़ार साहब को बधाई ....!!!
"इस धुप में भी लैला की रूह नज़र आती है ...
कभी तिलमिलाती है ...कभी मुस्कुराती है ...
चुपचाप मीठी धुप मेरे घर तक टपक गयी ...
टुकुर - टुकुर देखा और प्यार हो गया ....:))
~ गुलज़ार
@RR - १२ अप्रील - २०१४
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