ए मेरे चाँद ... ए मेरे फागुन के चाँद ... आ ..अब धरती पर उतर आ ... आ.. तेरे गोरे गालों पर थोडा अबीर लगा दूँ ... आ.. तेरे नीले आसमां को और गहरा कर दूँ ... आ...तुझे भी सफ़ेद से गुलाबी बना दूँ ... ए मेरे चांद ... ए मेरे फागुन के चाँद ... ए मेरे गुलाबी चाँद ... सुन ...गुलाबबाड़ी से मैंने कुछ रंग बनाए हैं ... देख ...तेरे लिए कितने रंग सजाये हैं ... सब कहते हैं ..हर रंग तुझपर फबता है ... सूना है ...होली के दिन तू भी मुझे देख .... .........थोडा बहकता है ...:)) |
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