फारूख शेख नहीं रहे ! यह दुखद समाचार मिलते ही - उनके कई सिनेमा और उनके उन सिनेमा में निभाये गए चरित्र आखों के सामने से एक झटके में गुजर गए - जैसे सचमुच में फारूख शेख एक झटके में हमसबों के बीच से निकल लिए !
गुजरात के एक ज़मींदार परिवार में जन्मे फारूख दिखने में बहुत कूल नज़र आते थे - एक परिपूर्ण बचपन के चलते बेवजह कोई भूख नज़र नहीं आती थी - मेरा यह पुरजोर मानना है कोई भी कलाकार/लेखक / इंसान अन्तोगत्वा अपने ही आतंरिक व्यक्तित्व को ही परदे पर / समाज में लेकर आता है !
बहुत बचपन में उनकी 'नूरी' देखी थी - शायद उस सिनेमा का असर था - टीनएज में शिवानी के उपन्यासों में पहाड़ों के बीच प्रकृती से भी शुद्ध प्रेम को समझ पाया ...बहुत भोले नज़र आये थे ..अपने फारूख ....फिर चश्मे-ए-बद्दूर में वो सिद्धार्थ पराशर के रूप में नज़र आये - वो उस दौर के नौजवानों को बड़ी बखूबी से निभाये - यह सिनेमा भी बेहद पसंद है ! शतरंज के खिलाड़ी / उमराव जान में उत्तरप्रदेश के नवाबों का अभिनय ..."बाज़ार" मैंने जान बुझ कर आज तक नहीं देखा ...गीतों में इतना दर्द था ...वो सिनेमा देखने की हिम्मत ही नहीं हुई !
आपकी हेयरस्टाईल ...आपकी चौड़ी और लम्बी 'कलम' के साथ ..आपकी भोली सूरत हमेशा याद आएगा ...जब मन उदास होगा ...खुद को थोडा सा आपके अन्दर तलाशने ...आपके गीतों को युटिउब पर देख लिया करूँगा ...
हाँ...आप एक टीवी शो भी करते थे ..न....जीना इसी का नाम है ....हाँ ..."जीना इसी का नाम है" ....
@RR - २८ दिसंबर - २०१३
No comments:
Post a Comment