Sunday, September 28, 2014

कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता.....


आज सुबह सुबह अखबार में छपी एक छोटी सी खबर पर नज़र पडी - इस बार आई आई टी प्रवेश परीक्षा में करीब चौदह लाख विद्यार्थी शामिल होंगे ! 
जी ...चौदह लाख ! 
इसी इतवार पड़ोस में रहने वाले - गुप्ता अंकल से बात हो रही थी - हम दोनों धूप सेंक रहे थे - मैंने बात ही बात में पूछ दिया - अंकल आपके बच्चे ? वो बोले ..तीन बेटे एवं एक बेटी है - चारों आई आई टी से ! अभी मैं कुछ और बोलता - तब तक मेरे दुसरे पड़ोसी एवं नेतरहाट से पास - रमेश बाबु डोलते हुए - हाथ मलते हुए आ गए - हंसने लगे - बोले - 'साहब ...मारिये गोली आई आई टी को ...गुप्ता अंकल के बच्चो का रैंक क्या था - हम भी पूछ दिए - ...जबाब बड़ा ही मासूम आया ....चारों अपने अपने अपने साल में ....प्रथम सौ में ..:)) एक बेटा दसवां रैंक तो दूसरी बेटी बत्तीस ...तीसरा बेटा ...सैतालीस तो चौथा बहत्तर ! 
थोड़ी और बात होने लगी - गुप्ता अंकल बोलने लगे - मैं घर में सबसे तेज़ था - कब खुद भटक गया - पता ही नहीं चला - गाज़ियाबाद के रईस बनिओं के औलादों से दोस्ती हो गयी - पढ़ नहीं पाया - मेरे बाकी भाई पढ़ लिख बड़े बड़े हाकिम बन गए - मुझे अपने पिता जी की दूकान पर ही बैठना पडा - दिल का मलाल - घर को सरस्वती का मंदिर बना दिया - कोई बेटा कोई किताब बोलता - साइकिल से - मीलों दूर - नयी सड़क पहुँच घंटो किताब खोजता - कलम खरीद सबसे पहले - सरस्वती माँ के कदमों में ! भगवान् सुन लिए - एक एक कर के सभी आज विश्व के बेहतरीन टेक्नोलॉजी / मैनेजमेंट कंपनी में शीर्ष पदों पर आसीन ! 
बच्चे सेटल हो गया - गुप्ता अंकल अब दूकान नहीं चलाते हैं - एक खूब बड़ा फ़्लैट एवं सभी सुख सुविधा - सालों भर कोई न कोई बेटा- बेटी आता जाता रहता है - वो खुद सोसाईटी के कामों में खुद को व्यस्त रखते हैं - अपने हम उम्रों के साथ 'हंसी मजाक' - तब मेरे जैसे छोटे - दो कदम पीछे खड़े हो जाते हैं - आँखों में लिहाज एवं इज्ज़त लिए हुए ! 
बात सिर्फ आई आई टी में जाने की नहीं है - बात माता पिता के विश्वास एवं बच्चों में आत्मविश्वास की है और सभी बच्चों का 'प्रथम सौ' में आना ..:)) 
ऐसा सौभाग्य पाने के लिए भी अन्दर से बहुत 'ताकत' चाहिए ....
कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों..'

@RR - 28 December - 2012 

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