Pages
दालान.....
कुछ अपनी बात !!
Tuesday, September 30, 2014
एक शहर जो नहीं बदलता .....
शहर का शहर बदल जाता है ...शहर के अन्दर एक नया शहर बस जाता है ...शहर के हर छोर पर एक नया शहर दिखता है
पर कभी गलिओं को बदलते नहीं देखा ...पुराने ढहते मकानो की जगह नयी ईमारत को भी देखा ...पर कभी गलिओं को बदलते नहीं देखा ...
@RR - २० अगस्त २०१३
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment