Monday, September 29, 2014

बिहार


पटना में मेरा इंटरनेट कनेक्शन प्रीपेड है - समय और पैसा ख़त्म हो गया था - उसको रिचार्ज करवाने के लिए मै अपने चौक तक गया - वहीँ एक मोबाईल दूकान में घुस गया - दो मिनट के अन्दर मेरे आस पास करीब छः सात लोग आ खडा हुए - सभी आयु में बीस से कम थे - चौक पर कुछ एक दूकान है - सभी दुकानदार पचास से ऊपर के हैं ! यही दृश्य है - बिहार का ! हर एक बच्चा पढ़ रहा है - किसी भी क्लास / जाति का हो - जितना उसका अपना क्षमता - जी जान लगा दे रहा है - ज्ञान के लिए नहीं - "बिहार के बाहर निकलने के लिए "  और जो निकल गया - वो परदेस में जी जान लगा दे रहा है - "बिहार कभी वापस नहीं लौटने के लिए"  जो बिहार में रह गया / फंस गया - वो कुंठित हो चला है - यह एक सत्य है - उसे वही लगता है जो बाहर है वो दुनिया की सारे भोग विलास में है - मेरे पास कुछ नहीं है - ऐसी कुंठा स्वाभाविक है - जिसके पास विजन ही नहीं है - उससे आप कुछ भी गवा लीजिये - वो एक ही राग गायेगा ...हा हा हा हा ...
तरह तरह के अफवाह - फलाना बाबु मर गए - बेटा विदेश से ही पड़ोसी को पैसा भेज दिया - क्रिया कर्म कर दीजियेगा - इससे बड़ी त्रासदी किसी भी इंसान के लिए क्या होगी - औलाद रहते - मुखाग्नी कोई और दे रहा है - कहीं न कहीं कुछ न कुछ तो सही है ही है ! ये तो सही है ही है - कई लोग माता पिता के देहांत के बाद - अंतिम दर्शन नहीं कर पा रहे हैं - वजह जो भी हो ! 
जब दिल्ली आया था - रोज अखबार में खबर - बड़े मोहल्ले में वृद्ध दम्पती को लूट नौकर फरार - अस्सी साल के बुजुर्ग की हाथ - बुजुर्ग ने आत्महत्या की - ऐसी खबरें बिहार से नहीं आ रही - सामाजिक भावना अभी ज़िंदा है - आप नहीं हैं पर आपके कई हित कुटुंब है - आपके माता पिता की सहायता के लिए - पर कब तक ?? 

@RR - १४ जुलाई - २०१४ 

No comments: