दिल्ली और आस पास का मौसम 'गज़ब' का हो गया है ...कल की बरसात ने ...कम्बल के ऊपर ..कम्बल डलवा दिया है ...:)) पहले के कम्बल बड़े रूखे सूखे होते थे ...अब मुलायम कम्बल आते हैं ...उसमे सिकुड़ कर सोने का अलग ही मज़ा है ...फोंफ काटते हुए ...जैसे .....:)))) और फिर देर तक सोने का भी अलग मज़ा है ...मज़ा तो तब आ जाये ...जब दिवार घड़ी भी रुक जाए ..समय का पता ही नहीं चले ...और फिर कोई जगाने वाला भी नहीं हो ...परमआनंद ...:))
फिर ...चाय ...कड़क ..आसाम टी ...बड़े वाले मग में ...फिर मोबाईल से ही ...फेसबुक ...फिर अखबार ...कोई खबर नहीं ...पर ढेर सारे प्रचार ...दिल्ली के मोटे - मोटे अखबार होते ही हैं..प्रचार देखने / पढने के लिए ...कहीं कुछ कुछ डिस्काउंट लगा है ...
अगर इस मौसम में ...गरम गरम भात के साथ आलू दम की सब्जी और अंचार ...भाप निकलते भात के ऊपर आलू दम ...अहा ...मज़ा आ जाए ...और ..और ..लैपटॉप से युटिउब पर इंस्ट्रुमेंटल ...पुराने फ़िल्मी गीत ...फिर भर पेट खा के ..उसी कम्बल में वापस ...नर्म - नर्म ..मुलायम ...और पलंग के सिराहने ..ओठंग कर ...अपने लैप पर लैपटॉप रख ...बेवजह कुछ कुछ यूँ ही ....लिखते रहना ...:))
हैपी वीकेंड ....:))
@RR - 28 Feb - 2014
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