हिन्दू माइथोलोजी विचित्र है - कोई भी भक्ती से शक्ती पा सकता है - फिर क्या ? फिर महिषासुर ..रावण ..लड़िये ... लड़ाई ..जब तक की वो एक कहानी ना बन जाए ! समुद्र मंथन में जो मिला ...देवता और दानव दोनों आपस में बाँट लिए - इंसान रह गया बीच में ....उसके अन्दर दोनों समा गए ..फंस गया इंसान ! इंसान देवता बनने की चाह पैदा करे तो उसके अन्दर का दानव अपनी शक्ती दिखा देता है ...अवकात में रहो ..देवता मत बनो ! दानव बनता है ..तो देवता उसकी शक्ती छीन लेते हैं ...इसी लड़ाई में ...एक दिन इंसान दम तोड़ ...कुल मिलाकर ...सार यही है ...जब आपको शक्ती मिले ..उसको इज्ज़त देना सीखिए ...जुबां से नहीं ...मन से ..श्रद्धा से ..वर्ना जिस गति से शक्ती आयी ...उसी गति से वापस ..
और ..शक्ती स्त्रीलिंग शब्द है ...!!!!
और....शक्ती शिव के इर्द गिर्द घुमती हैं ...अबोध ..जिसे शक्ती का एहसास भी नहीं .... :)))
है ..न ..विचित्र ...:))
~ १९ अक्टूबर - २०१२
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