दुःख में शब्द बोलते हैं ...दर्द शब्दों में बाहर आसानी से निकल आपको थोडा राहत पहुंचाते है ...ईश्वर हमेशा आपको दुःख में नहीं रखता ...कभी कभी खुशी भी देता है ...अत्यधिक खुशी में आपके शब्द कहीं अटक जाते हैं ...आपको छोड़ भाग खड़े होते हैं और जाते वक़्त कहते हैं - अभी रहो अपने खुशी के साथ ......शायद आप उस अनुभूती को काफी देर तक खुद के दिल में रखना चाहते हैं ...जीवन में कुछ पल ऐसे भी होते हैं ..उन पलों को सहेज ..किसी संदूक में बंद कर ...सागर की किसी गहराई में फेंक देना चाहिए ...जहाँ जमाने की बुरी नज़र न पड़े ....चश्म - ए - बद्दूर ....:))
~ 3 March - 2013
~ 3 March - 2013
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