आज सावन गिरा ...क्या गिरा ..खूब गिरा ...खूब भींगा ...दिलभर - मनभर - जीभर !
मन नहीं माना तब बेटा का साइकिल निकाल सड़क पर् निकल पड़ा ...वर्षों पहले खुद के साइकिल पर् इसी तरह भींगा था ...
मन तब भी वही था ..मन आज भी वही है :))
मालूम नहीं बारिश की पहली फुहार इतनी अच्छी क्यूँ लगती है ...मिट्टी की खुशबू जो आती है ...बेचैन और तपती धरती ...सूरज के घमंड को तोडता बादल ....सचमुच मजा आ गया :))
~ RR
6 जुलाई - २०१२
मन नहीं माना तब बेटा का साइकिल निकाल सड़क पर् निकल पड़ा ...वर्षों पहले खुद के साइकिल पर् इसी तरह भींगा था ...
मन तब भी वही था ..मन आज भी वही है :))
मालूम नहीं बारिश की पहली फुहार इतनी अच्छी क्यूँ लगती है ...मिट्टी की खुशबू जो आती है ...बेचैन और तपती धरती ...सूरज के घमंड को तोडता बादल ....सचमुच मजा आ गया :))
~ RR
6 जुलाई - २०१२
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