Thursday, September 25, 2014

कभी पूछना चाँद से ....

कभी पूछना चाँद से
वो पिघलता क्यों है ...
कभी पूछना आसमान से
वो झुकता क्यों है ..
कभी पूछना गुलाब से
वो महकता क्यों है ...
कभी पूछना सूरज से
वो तपता क्यों है ...
कभी पूछना रात से
वो इतना जागता क्यों है ...
कभी पूछना अपने दिल से
उसमे बसता कौन है ..
कभी पूछना अपने ख्वाबों से
उसमे आता कौन है ...
कभी पूछना अपने खुदा से
वो रहता कहाँ है ... :))
~~ RR
१६ दिसंबर - २०१२ 

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