Monday, September 22, 2014

गुलज़ार .....

" सब कहते हैं ....मैंने अस्सी वसंत देखे हैं ...कोई ये नहीं कहता - मैंने अस्सी पतझड़ भी देखे हैं ....सभी कहते हैं ....मैंने अस्सी सावन देखे हैं ....कोई ये भी तो कह दो - मैंने अस्सी जेठ की दुपहरिया भी देखा है ....हाँ ..मैंने देखा है ....वसंत के बहार को ...खिलखिलाते फूलों को ....पर मैंने उन्ही फूलों के पत्तों को झरते भी देखा है .....हाँ ...मैंने सावन को बरसते देखा है ....पर उसके पहले की प्यासी जल रही धरती को भी देखा है " 
~ इन्ही शब्दों के साथ "गुलज़ार साहब" को उनके जन्मदिन पर दालान और पाठकों की तरफ से शुभकामनाएं ....:))
१८ अगस्त - २०१४ 

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