सावन का ...हर पहर...हर पल...कुछ भींगा भींगा सा रहता है...कल के भींगे ख्वाब आज भी भींगे हुए हैं ...सूख जाएँ तो इन्हें पहन लूँ ...फिर से भींग जायेंगे ...कुछ बूँदें मेरी कलम की स्याही में जा मिले हैं ...अब सारे शब्द भी कुछ भींगे - भींगे से दिखते हैं ...फुर्सत में पढना ...मेरे कुछ भींगे शब्द ....
~ RR
१८ अगस्त , २०१३
~ RR
१८ अगस्त , २०१३
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