Wednesday, September 17, 2014

अहंकार

अहंकार तुम्हारा शस्त्र है
उसके बगैर जीना व्यर्थ है ...
शस्त्र के साथ हर जगह नहीं ...
इसके बगैर भी हर जगह नहीं ....
अहंकार अग्रज के साथ नहीं ....
कुचल दिए जाओगे ...
अहंकार अनुज के साथ नहीं ...
घृणा के पात्र बन जाओगे ....
अहंकार प्रेम में नहीं ...
दफ़न हो जाओगे ....
अहंकार गुरु के साथ नहीं ...
कफ़न में लिपट जाओगे ....
आत्म सम्मान पर जब चोट लगे ...
सब भूल जाओ ...
अहंकार को कवच बना
खुद को जलाओ ...
मानव ही धरती को रौंदता है ...
है हिम्मत तो शेर भी डरता है ...
यह जीवन बार बार नहीं आता है ...
है हाथ में लगाम तो आसमान भी झुकता है ...
जीवन अगर युद्ध है ...
तुम्हारा अहंकार ही वो अश्व है ...
जब अश्व पर चाबूक लगेगा ...
हवा के संग बातें करेगा ....
जीने की कला सिखाएगा ....
कुचले हुए आत्म सम्मान को उठाएगा ....
कहाँ शस्त्र उठाना है ....
कहाँ शस्त्र गिराना है .....
यही सिखना जीवन है .....
प्रेम और युद्ध दोनों के बगैर जीवन अधूरा है ....
~ RR

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