सावन तो बस मिजाज़ बनाता है - बरसता तो भादों है ..:)) हाँ..मेरे शहर पटना में आज सुबह से ही बारिश हो रही है ..जबरदस्त ...:)) सुबह सुबह वो हलके भींगे अखबार ....बालकोनी के किसी कोने में पड़े ...फिर उन्हें बिछावन पर पसार ...पंखे में सुखा ...पढना ...गाँव से 'मन्टू' आया है ...हर एक घंटे पर बढ़िया दार्जिलिंग चाय बना के दे जा रहा है ....! बच्चे स्कूल नहीं जाना चाह रहे थे ...ठेल ठाल के स्कूल बस पर बैठा दिया ...इस दिलासा के साथ ...स्कूल में बहुत कम बच्चे आयेंगे और जब तुम इस बारिश में भी स्कूल जाओगे ...बढ़िया लगेगा ...दोस्तों से ढेर सारे गप्प का समय मिलेगा ...:))
बारिश भी अलग अलग तरह की होती है ....कई बार आप पलंग पर लेट ...खिड़की से बरसती बूंदों को देखना पसंद करते हैं ...कई बार साईकिल से बारिश में निकल घूमना पसंद करेंगे ...तो कई बार अपने कार से ...तेज रफ़्तार से चल रही वाइपर और आप थोड़े आगे की तरफ झुके ...कई बार आप अपनी बाईक पर ...अकेले या दुकेले ...बारिश की तीखी बूंदों से अपने चेहरे को बचाते ....पीछे बैठी प्रेमिका के दुपट्टे से आप दोनों खुद को समटते ...:)) कई बार अपने बालकोनी के झुलुआ पर बैठे ....एकटक बरसती बूंदों को देखते ....
बारिश तो बारिश ही है ....जैसा आपका मिजाज़ ...बारिश का वैसा मजा ...:))
~ १२ अगस्त २०१४
बारिश भी अलग अलग तरह की होती है ....कई बार आप पलंग पर लेट ...खिड़की से बरसती बूंदों को देखना पसंद करते हैं ...कई बार साईकिल से बारिश में निकल घूमना पसंद करेंगे ...तो कई बार अपने कार से ...तेज रफ़्तार से चल रही वाइपर और आप थोड़े आगे की तरफ झुके ...कई बार आप अपनी बाईक पर ...अकेले या दुकेले ...बारिश की तीखी बूंदों से अपने चेहरे को बचाते ....पीछे बैठी प्रेमिका के दुपट्टे से आप दोनों खुद को समटते ...:)) कई बार अपने बालकोनी के झुलुआ पर बैठे ....एकटक बरसती बूंदों को देखते ....
बारिश तो बारिश ही है ....जैसा आपका मिजाज़ ...बारिश का वैसा मजा ...:))
~ १२ अगस्त २०१४
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