आओ ...शब्दों का एक चौपड हो जाए ...कुछ शब्द तुम फेंको ..कुछ मैं फेंकता हूँ ....कुछ बाज़ी तुम हारो ...कुछ मैं हारता हूँ ....कुछ मेरे शब्द.... तुम्हारे जुबान से ...कुछ तुम्हारे शब्द ..मेरी जुबान से...इन शब्दों से बनते रिश्ते को.... सुबह हम पूजे तो ....शाम तुम पूजो ...आओ ...शब्दों का एक चौपड हो जाए...कब सुबह आये ..कब शाम आये ....जो भी आये ..इन शब्दों में लिपटा आये ...आओ ...शब्दों का एक चौपड हो जाए ...इस बार ना तुम हारो ..ना मैं ...ना तुम जीतो ..ना मैं ...
~ दालान
३१ दिसंबर २०१४
३१ दिसंबर २०१४
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