Thursday, September 25, 2014

नारी की करुणा .....

नारी का नारीत्व उसके करुणा में है और मर्द की मर्दानगी उसके जुबान में है ! दोनों अपने अपने इसी गुण के कारण ही अपनी जंग जीतते या हारते हैं - राजा दशरथ ने कैकेयी को वचन दे दिया - प्रिय पुत्र को वनवास पर भेज दिया - सीता भिक्षुक वेश में राक्षस के लिए अपनी करुणा रोक नहीं पायी - फिर बाकी का रामलीला लिखा गया ! 
महाभारत में कौरवों का अपनी जुबान से फिसलने के कारण कुरुक्षेत्र में आज तक का सबसे बड़ा युद्ध लड़ा गया ! आसान नहीं होता है अपनी जुबान का खुद से रक्षा करना - कभी कभी खून सुख जाता है और फिर जब आप अपने ही शब्दों की रक्षा करने में सफल होते हैं - दुनिया को क्या दिखाना - खुद आपका अपना मन आपका अभिनन्दन करता है - यहीं आपको शांती मिलती है ! 
सृष्टी ने नारी को जननी बनाया - यह करुणा यहीं से आया - किसी के रोकने से यह करुणा नहीं रुकने वाला - वो माँ है - जनम देना उसके स्वभाव में है और जन्म तभी देगी जब वो करुणा में भींगी खडी होगी ! 
हां ...अब कोई पुरुष किसी नारी के करुणा को भाव नहीं दे ...कोई नारी किसी पुरुष के जुबान को अहमियत न दे ...फिर मुश्किल है ...:)) 
अब उलटफेर कर के भी आशा नहीं कीजिए ...एक पुरुष से करुणा का आशा मत कीजिए और एक नारी से जुबान - वो जो बोले चुप चाप सह लीजिये - फिर देखिये - आप उसके करुणा में बह के प्रेम के किस अथाह सागर में जायेंगे - कितना भी डूबेंगे ...कम ही लगेगा ...:))

~ १० मई - २०१३ 

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